IAF प्रमुख बोले – हम 44 साल पुराने मिग-21 उड़ा रहे हैं, इतनी पुरानी तो कोई कार नहीं चलाता

मंगलवार को दिल्ली के एयरफोर्स ऑडिटोरियम में वायुसेना के आधुनिकीकरण और स्वदेशीकरण को लेकर एक सेमीनार हुआ। इस सेमीनार में वायुसेना के तमाम बड़े अधिकारी और साथ ही देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे। सेमीनार में वायुसेना प्रमुख बीएस धनोवा ने वायुसेना के मिग-21 विमान को लेकर तंज करते हुए कहा कि ‘वायुसेना 44 साल पुराने मिग-21 विमान उड़ा रही है, जबकि इतने साल बाद कोई अपनी कार तक नहीं चलाता है।’
दरअसल मिग-21 चार दशक से भी ज्यादा समय से भारतीय वायुसेना की रीड की हड्डी बना हुआ है। इसका बड़ा कारण यह है कि वायुसेना के पास मिग-21के विकल्प के तौर पर अभी कोई विमान नहीं है। इतने पुराने विमान को शायद ही कोई अन्य देश उड़ाता होगा। लेकिन इन सबके बावजूद यह विमान न केवल दुश्मनों से देश की रक्षा करता है, बल्कि दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब भी देता है। इसका उदहारण हम बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय देख चुके हैं, जब भारत के मिग-21 ने पाकिस्तान के अमेरिकी एफ-16 को मार गिराया था। जो कि एक आधुनिक विमान है।
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लेकिन कई बार वायुसेना मिग-21 के इतने पुराने होने का खामियाजा भी भुगत चुका है। अब तक वायुसेना के 500 से भी ज्यादा मिग-21 हादसे का शिकार हो चुके हैं। आधुनिक विमान के तौर पर भारत ने फ्रांस से 36 रफाल खरीदने का सौदा किया है। लेकिन इसकी डिलिवरी 2022 तक होगी। रफाल की पहली खेप 2019 के ही सितम्बर यानी अगले महीने आने वाली है। वहीँ वायुसेना ने 114 अन्य लड़ाकू विमान खरीदने का भी टेंडर जारी किया है।
IAF Air Chief Marshal BS Dhanoa: We can't wait for indigenous technology to replace obsolete warfighting equipment,neither will it be prudent to import every defence equipment from abroad.What we're doing is replacing our high-end obsolete weapons with indigenously developed ones pic.twitter.com/CAeoAk5WNf
— ANI (@ANI) August 20, 2019
एयरचीफ मार्शल बी. एस. धनोआ ने इस सेमीनार में कहा कि “हम पुराने लड़ाकू उपकरणों को स्वदेशी तकनीक द्वारा बदलने का इंतजार नहीं कर सकते, और न ही हर रक्षा उपकरणों को विदेश से आयात करना समझदारी होगी। हम अपने पुराने हो चुके हथियारों को स्वदेशी-निर्मित हथियारों से बदल रहे हैं।
मौके पर केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “हमने हाल ही में सरकारी इकाइयों की टेस्ट फैसिलिटी को निजी रक्षा क्षेत्र को उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे कई बाधाएं दूर हो गई हैं।